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कविता

कोई कवि कालांतर में

मोहन सगोरिया


 

पता नहीं क्यों नींद में लगा वह
जो गोलियों से भरी रिवाल्वर ताने था

निशाने पर खाली हाथ खड़ा आदमी जाग रहा था
वह निर्भीक दिखा
और पहला भयभीत

दूर कविता लिख रहा कोई कवि कालांतर में
थोड़ा जाग रहा था और थोड़ा सोया था

अंततः उसने लिखा पहले आदमी के डर
और दूसरे की निडरता पर।


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हिंदी समय में मोहन सगोरिया की रचनाएँ